जब एक नन्हा बालक अपनी तोतली जुमान से पहली बार भी कहकर पुकारता है तब यह शब्द माँ कानों में पड़ते ही हजारों मंदिर की घंटियों की आवाज की मधुरता कानों में घुलने लगती है, वीणा की झंकार सी यह ध्वनि माँ के मातृत्व को करुणा, वात्सल्य से भर देती है। यही यह सम्बोधन है, जो एक नारी को समपूर्ण नारील प्रदान करती हैं। माँ बनकर ही एक नारी का व्यक्तित् समस्त भावनाओं को अपने में समामा हुआ अनुसंध कर पाती है। माँ का मातृत्व ही सबसे ऊँचे स्थान पर है। इस भाव का अनमोल कम है, हमारा भारत वर्ष, पूरे विश्व में एक हमारा ही देश है जिसे भारत माता कहकर प्रकारा जाता है। वीर प्रसविनी धरती माता अपनी संतानों को सम्पूर्ण वैभव भरपूर करती है, क्योंकि यह मीं है।
से पचतलों से निर्मित मानव देह कुदरत की ही देन है, जो कुवरत से बनती है और कुतरत में ही समा जाती है। इस देह को शिशु बाल अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक कैसे अदृश्य शणि से परिवर्तित होता है यह क्रिया अद्भुत है. जो कुवरत करती है। प्रकृति की गोद में पलकर पड़ने वाला हमारा जीवन प्रकृति माँ से ही जीवन का पहला पाठ स्वखते हैं। प्रकृति के अहसानों से मालव जीवन कमी उऋण नहीं हो सकता है। प्रकृति के सर्वाधिक शक्ति मिन्ह माँ की भूमिका में ही है।
माँ अपनी संतानों को भाषा, आचरण, व्यवहार, संस्कार और शिक्षा देकर उसके व्यक्तित्व को बहुआयामी बनाने के लिए उसे चरित्रवान बनाने के लिए अपना खूग, पत्तीला एक करती है उसे अपनी परवरिश पर पूरा भरोसा होता है। धन्य है वे माताएँ जो अपने वीर सपूतों को देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर मेजती है और देश सेवा करते हुए शहीद होने पर यही माँ आपने बेटे के बलिदान पर गर्व अनुभव करती है। धन्य है ये मौए धन्य है उनका जीवन। जय बेटा अपनी प्रतिभा के बलबूते जय जनमानस की सेवा में जुट जाता है. बहुत सारे लोगों की मदद कर उनके सुख-दुःख में सहयोगी बनकर मानव सेवा में देखकर माँ का दिल खुशी से फूला नहीं समाता है। संत कबीर दास जी कहते हैं-
लाली मेरे लाल की जित देखें तित
বলাল।
लाली देखन में गई, तो में भी हो गई लाल।
माँ के गौरव को बढ़ाते
हुए. मातृत्व की गरिमा का अनुभव करते हुए
, जीवन की मुस्कान बढ़ाएँ।
जब बेटे की लाली যাদি प्रतिभा चारों तरफ फैलती है तो माँ यह देखकर फूली नहीं समाती और जब वह यह सब देखाने पहुंचती है तो यह सारा संसार प्रतिभाशाली बेटे की माँ होने का सम्मान उसे देती है जो मानों माँ गदगद होती है उस प्रतिमा के सम्मान से यही सत्या है जीवन की मुस्कान।