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आदतों का संस्कार निस्वार्थ प्रेम

 प्यारे बच्चोंक्या! आपजानते हैंकि बच्चेउनके पासजाना ज्यादापसंद करतेहैं जोउन्हें प्यारकरते हैंऐसा क्योंहोता हैक्योंकि प्यारमें नेकरुणा ममताका निस्वार्थभाव होताहै जिसमेंबहुत अधिकआकर्षण होताहै बच्चेबहुत जल्दइस सेआकर्षित होतेहैं इसलिएअक्सर बच्चेउनके पासही जानापसंद करतेहैं। बच्चे पिता के स्थान परमां को ही अधिक पसंद करतेहैं क्योंकि मां काह्रदय वात्सल्यसे भरा होता है।यह सचहै कि प्यार केअभाव में हमारा जीवन अभाव ग्रस्त होता है बच्चों में कुंठा आत्मविश्वास में कमी डिप्रेशन और हीन भावनाजैसे भावघर करजाते हैंजो व्यक्तित्वको बहुतअधिक प्रभावितकरते हैंमाता-पिता को भीअपने बच्चोंपर विशेष ध्यान देकर सबको बराबर प्यार  देनाचाहिए बच्चोंइसमें आदिबोधक चिन्हक्या आपयह बातजानते होकि पेड़-पौधे भीहमारे जैसे जीवन चर्या से पनपते हैं उनमेंप्राणिक गतिविधियां मानव जीवन जैसी ही होती हैंइसलिए उन्हेंभी प्यारकी जरूरतहोती है।यदि आपकिसी हरेभरे पेड़के नीचेबैठकर अपना गुस्सा उतारने कठोर अथवाअप शब्दों केप्रयोग सेभला बुरा कहते  हुएअपने भीतर के नकारात्मक भावों को प्रकट करते हैं तो पेड़ पर लगातार किए गए ऐसे पहाड़ों का बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है पेड़ सूखने लगता है पत्ते पीले होकर  झड़ने लगते हैंऔर पेड़बे जानहोने लगताहै इसकासीधा अर्थतो यहहै किपेड़ भीप्यार कीभाषा जानतेहैं उन्हेंघृणा अथवाअपमान आहतकरता है।आप अपने घर में तो  गमले लेकर प्रयोगकर सकतेहैं औरपरिणाम सत्यही ज्ञातहोगा। दोगमलों मेंमिट्टी भरकरकोई भीबीच दबादें औरउसे रोजदेखभाल करें।एक गमले को प्यार से जलाएं और प्यारीबातें करीऔर पानीदेते हुएउसके लिएशुभकामना देंऔर दूसरेगमले कोपानी धूपसब डेपर कुछना कहींकुछ दिनोंमें जबअंकुरित होगापौधा तोआप अपनेगमला नंबर 1 को प्यारदे समयपर पानीखाद उपाधिदे औरपास बैठकरबातें करेंऔर निस्वार्थप्रेम काउसे अनुभवकराएं आपदेखेंगे किनंबर दोकी जगहनंबर 1 गमले का  अंकुरित पौधा तेजी से पूरेआत्मविश्वास केसाथ बढ़ता हुआ महसूसहोगा वघना और गहरे हरे रंग का खूबसूरत होगा मनीष कमला नंबर दो कि इससे तो आप यह समझ ही सकतेहैं किजब पेड़पौधे भीप्रेम सेअच्छाई सेसत्य सेप्रभावित होतेहैं तोमनुष्य कितनाहोता होगा।बच्चों वृक्षहमें निस्वार्थप्रेम देतेहैं अपने लिए कुछनहीं रखते हैं पेड़ों से हमफूल पत्तेछाया छायालकड़ी कासब कुछबातें हैंअगर वृक्षसे मनुष्यकी तुलनाकी जाएतो बहुतअच्छे साबितहोता हैक्योंकि मनुष्यतो स्वार्थसे हीव्यवहार करताहै निस्वार्थप्रेम तोविरले हीकरते हैंबच्चों हमेंवृक्षों सेनिस्वार्थ प्रेमकरना सीखनाचाहिए बच्चोंविश्व मेंपरिवार वसंस्था जहांनिस्वार्थ प्रेमसे हीरिश्ते मजबूतबनते हैंऔर एकदूसरे केप्रति घनिष्ठसंबंध बनतेहैं जहांआपस मेंप्रेम होताहै वहपरिवार फलतेफूलते औरउन्नत होतेहैं जोप्यार हमपरिवार मेंपाते हैंवही हमारेसमाज मेंहमें बांटनाहै क्योंकिसमाज भीनिस्वार्थ प्रेमसे एकजुटव संगठित होकरसब केरहने लायकबनता हैसमाज मेंमानवीय बुराईको कभीस्थान नहींदेना चाहिए।उन्हें प्रारंभिकअवस्था मेंही नष्टकर देनाचाहिए बच्चों! हमें अपनेदेश सेभी बहुतप्रेम करनाचाहिए इसलिएअच्छी आदतोंको अपनाकरउत्तम स्वास्थ्यउत्तम शिक्षाऔर संस्कारोंसे श्रेष्ठव्यक्तित्व निर्माणकर अपनीयोग्यता सेदेश कीसेवा काभाव रखनाचाहिए विरामइस तरहही परिवारसमाज देशकी समृद्धिहोगी तोदेखा बच्चोंकैसे निस्वार्थप्रेम कीजरूरत सबकोहोती हैईश्वर हमसब सेनिस्वार्थ प्रेमकरता हैइसीलिए हमसब दुखीहोने परईश्वर कोही यादकरते हैं।