नई चेतना,नईपहल
मुझे यह बतातेहुए सकारात्मक भाव आ रहेंहैं कि मैं एकअति महत्वपूर्ण विषय पर
आगामीपीढ़ी के भविष्य कोध्यान में रखते हुएपुरजोर तरीके से वर्तमान मेंअनावष्यक रूप सेे फैलाएजा रहे भ्रम पूर्णवातावरण में बुद्धिमत्ता पूर्णराह अपनाकर भारतीय लोकतंत्र को उसकी संस्कृतिकी कसौटी पर परख करनैतिक, मानवीय, सांस्कृतिक मूल्यों की सही व्याख्याप्रस्तुत करूं और नईपीढ़ी को मूल्यवान संस्कारोसे जोड़ सकू। स्नेहीपाठकों खुले दिल औरदिमाग से इस विषयपर चिंतन अवष्य करें।
स्नेही पाठकों परिवार हमारे समाज की एकप्रारंभिक छोटी इकाई है,जो एक विस्तृतसमाज का निर्माण करतीहै। समाज की सारीप्रतिष्ठा परिवार पर ही निर्भरहै। भारतीय परिवार की अपनी विषेषपहचान है, इसे हमइस तरह देखते हैंजिसमें हम समाज कीउन्नति, प्रगति को ठीक-ठीकसमझ सकते हैं। परिवारको आथर््िाक, षैक्षिक, सामाजिक स्तर पर क्रमषः 3 वर्गोमें विभाजित कर सकते हैं।
1. उच्च वर्ग 2. मध्यमवर्ग 3. निम्नवर्ग।
विष्लेषणके आधार पर मूल्योंको समझने के लिए हममध्यम वर्ग के परिवारको मूल में रखतेहुए संस्कृति के स्वरूप कोदेखेंगे।
स्नेह पाठकों मध्यमवर्ग परिवार भारतीय संस्कृति का संवाहक मानाजाता है। संस्कृति इनपरिवारों में पूर्णतः संरक्षितसुरक्षित है, यह उनकीजीवन षैली में स्पष्टझलकती है। सबसे पहलेपरिवार और परिवारजनों मेंरिष्तों की पवित्रता औरघनिष्ठता के साथ जोसंगठन है वह अतिमहत्वपूर्ण है। हमारे परिवारोंमें स्त्री पुरूष के रिष्तों केसाथ-साथ नारी काकन्या में भी उसकेसम्मान की परंपरा अतिविषेष है। परिवार अपनेबेटा-बेटी को समानरूप से संस्कारित करतेहै, दोनों को षिक्षा, अचार, व्यवहार और अच्छे कैरियरकी ओर अग्रसर होनेका समान अवसर देतेहैं। हर उत्सव परंपराओंके अनुरूप उत्साह से मिल-जुलकर मनाते हैं। कन्या कोदेवी का रूप मानकरउसकी पूजा अर्चना कीजाती है। मध्यमवर्ग कीआस्था है कि जिसप्रकार देवी सरस्वती, देवीलक्ष्मी देवी पार्वती, गंगा, जमुना इन सब मेंनारी का वर्चस्व है, यह षक्तियां नियंता है इसलिए नारीउनके प्रतिनिधित्व में है औरपरिवार की धुरी भीहै परिवार नारी का, कन्याका देवी स्वरूप मेंमान रखता है। नईपीढ़ी के युवा पुरूषोंको यह संदेष जरूरदेना है और समझानाभी है कि “यत्रनारीयस्य पूज्यंते, तत्र रमंते देवता“। अर्थात् जहां परिवार मेंनारी का सम्मान प्रतिष्ठितहै, वहीं देवता विचरणकरते हैं। भारतीय संस्कृतिकी सुरक्षा और विरासत कोध्यान में रखते हुए, हमें यह बात ध्यानमें रखना होगा किषिक्षा, संस्कार, नैतिक मूल्य ही सच्ची विरासतहोगी आने वाली नईपीढ़ी ओर देष केभविष्य के लिए .....।जरा सोचें।।।