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आओ सम्मानित जीवन जी ले

उपहार है परमात्मा का दिया हुआ हम सब एक अनुपम रचना हैं हम सब एक ऐसी किताब है जिसके हर पन्ने पर परमात्मा का प्यार और हिदायत है हमारी खुशहाली के लिए और अंत में उनके हस्ताक्षर हैं। क्या! यह सत्य काफी नहीं है यह समझने के लिए कि हम ईश्वर की संतान हैं  और उनके वारिस  भी हैं।  इतना होने पर भी  आज  हम  यह अनुभव कर रहे हैं  मानवीय समाज में स्वार्थ का कद  बड़ा  हो गया है  और संवेदनाओं का अस्तित्व विलुप्त हो गया है। इन घटते  मानवीय मूल्यों  ने बहुत  बड़ी  खाई तैयार कर दी है छोटे-बड़े ऊंच-नीच अमीर गरीब जाति संप्रदाय की कभी ना पटने वाली खाई। सृष्टि का सौंदर्य  विस्तार  उदारता मानव मात्र के  जीवन को  विकसित करने के लिए ही है  धरती  पर असीम वैभव बिखेर कर मानव को पुरुषार्थ करने की प्रेरणा मिलती है। यह सब अदृश्य  दिव्य  शक्तियों के  माध्यम से अनायास  हो रहा है विराम यहां मनुष्य को तो निश्चिंत होकर  बिंदास खुशनुमा  जीवन जीना आना चाहिए और अपने जीवन में उच्चतम प्रगति के मानदंड स्थापित करना चाहिए एक नन्हा सा बीज जमीन के जितने भी तर जाता है उतने ही गर्व से ऊपर उभरकर सीना ताने आकाश को लक्ष्य बनाकर देखो आगे बढ़ता है।हम तो मनुष्य हैं ईश्वर क्या क्या सौगाते हमें दी हैं  उनके बलबूते  हमें  तो हर  हाल में अपना लक्ष्य तय करना चाहिए यह आता है  वह विवेक से और निस्वार्थ  सेवा का  भाव  होने पर ही हम स्वयं का विकास कर पाते हैं। नदी पहाड़ ,धरती,आकाश,पेड़ ,पौधे ,समुद्र ,आदि  आदि यह सब जो प्रकृति के शक्ति चिन्ह हैं  वह हमें हर पल हर  क्षण हमारी औकात दिखाते हैं  और  हमें हमारा लक्ष्य याद दिलाते हैं कुदरत का संकेत हमारी भलाई के लिए है। हम सब खासकर बच्चों  में उपहारों के को लेकर  विशेष जिज्ञासा होती है विशेषकर जन्मदिन आदि अवसरों  पर वैसे  हमारे  समाज में विवाह सगाई जन्मदिन वर्षगांठ दिवाली ईद क्रिसमस आदि आदि ऐसे अनेक अवसर होते हैं जिन्हें हम उपहारों का लेनदेन होता है। दरअसल उपहार  देने के पीछे का भाव यही होता है  आपका  जीवन अनमोल है हमारा यह उपहार इसका  सम्मान  करता है  और आपका उत्साह बढ़ाता है  बढ़ाना है इसलिए हम सब स्वस्थ प्रसन्न उमंग उत्साह आनंद से भर कर अपना जीवन सुंदर सम्मानित बना ले